गुरुवार, 9 सितंबर 2010

टेक्निया इंस्‍टीच्‍यूट ऑफ एडवांस स्‍टडीज की कार्यशाला में अविनाश वाचस्‍पति ने कहा कि

तकनीकी जानकारी के कारण इस पोस्‍ट के मध्‍य में खाली स्‍थान रह गया है। पूरी पोस्‍ट पढ़ने और सभी चित्रों को देखने के लिए इस पोस्‍ट के अंत तक अवश्‍य पहुंचे। आप में से जो भी इसे सुधार सकते हों, उनका स्‍वागत है। - पवन चंदन



http://www.tecniaindia.org
प्रिय भाई सुधीर रिंटन जी और सभी उपस्थित साथियों,

मैं अपनी बात कहने से पहले अपनी एक व्‍यंग्‍य रचना पढ़ना चाह रहा था परंतु तकनीक नहीं चाहती कि मैं अपनी रचना पढ़ सकूं। खैर ... इसमें भी कोई भलाई ही होगी। आप जानते ही हैं कि

कलयुग अब सूचनायुग के साथ समन्‍वय करके दौड़ रहा है और इस सूचनायुग का गेट इंटरनेट है जिसके भीतर की सारी सामग्री हमने-आपने ही संजोई है। जिसे हम-आप संजो रहे हैं उसे सब देख रहे हैं। मुंह से कही गई बात कान तक पहुंचने के लिए कई माध्‍यम बन गए हैं। सीधी बात अब मजा ही नहीं देती है। उससे सनसनी भी नहीं उपजती है। एक कह रहा है और सुनने वाले के माध्‍यम से उसे सब तक पहुंचाया जा रहा है। जरिया कोई भी तकनीक हो सकती है। रेडियो, अखबार, टी वी अब पुराने हो गए हैं। इनमें मोबाइल सबसे शक्तिशाली और सबसे कम उम्र का हम सबका साथी है। इसे सब तकनीक के साथ मिलाकर इसके छोटे से स्‍वरूप में सभी पसंद कर रहे हैं। इसके बाद कंप्‍यूटर, लैपटाप का नंबर आता है और अन्‍य सब चीजें इन सबके बाद। कल मोबाइल से और नई चीज भी आ सकती है जो मोबाइल को बाहर कर सकती है। इस सबके पीछे इंसान का मानस ही है। मन जो सोचता है, उसे पा ही लेता है, बस प्रयास सच्‍चे मन से किए जाने चाहिए।

इस प्रकार से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को वर्कशाप का नाम दिया जाता है जबकि आप जरा गहराई से विचार करें तो पायेंगे कि हमारा सबका जीवन ही एक वर्कशाप है, इससे अलग कुछ नहीं। हर कोई, हर समय कुछ न कुछ वर्क करता ही रहता है। जब वह सोता है, तब उसके अवचेतन मन में जो प्रक्रिया चलती रहती है, वो भी एक अलग प्रकार की वर्कशाप ही है। मैं यहां आपके सामने और आप मेरे सामने वर्क कर रहे हैं। कर्म में विश्‍वास रखने वालों के लिए कर्म ही पूजा है।

अब से पहले एक तरफा सूचना संप्रेषण ही होता रहा है यानी जिसने लिखा या दिखाया – उसे पढ़ा-सुना-देखा गया परंतु अब इससे अधिक वापिस तुरंत प्रतिक्रिया पाने की जो प्रक्रिया बनी है। यह प्रक्रिया मतलब जो पढ़-देख-सुन रहे हैं – वे आपसे संवाद भी स्‍थापित कर रहे हैं। आप तुरंत प्रतिक्रिया पाते हैं और यह तुरंत प्रतिक्रिया का मिलना – आपको मुग्‍ध करता है। राय चाहे अच्‍छी हो या बुरी – रचनात्‍मकता के तेजी से विकास के लिए जरूरी है जिससे आप अपने कार्य को पूरी सकारात्‍मकता के साथ बेहतर तरीके से कर पाते हैं।

जो यह नया मीडिया है, यही इसकी खासियत है और यही इसकी खूबसूरती है। पहले जमाने के गांव अब इंटरनेट रूपी गांव के रूप में सबके सामने मौजूद हैं। हम सब सूचना के वाहक हैं। हम ही सूचना देते हैं और हम ही सूचना पाते हैं। आज जो जन्‍म ले रहा है, वो तकनीक के युग में जन्‍म लेता है। पहले जो बच्‍चे हाथ में कागज को तो पकड़ते ही नहीं थे, नोट पकड़ लेते थे, वे अब नोट भी नहीं पकड़ते, सीधे मोबाइलफोन की तरफ सहज ही आकर्षित होते हैं।

इस सूचना युग में मेरे हमउम्र साथी बहुत मुश्किल से, झिझक के साथ कंप्‍यूटर को हाथ लगाने का साहस करते हैं। उसी प्रकार जिस प्रकार टू व्‍हीलर चलाने वाला, कार चलाने में अपने को असमर्थ पाता है और हौसला नहीं कर पाता। कार कैसे चला पाऊंगा और इस हौसले को पाने में कई बरस लग जाते हैं। पर आप सब इस सूचनायुग के सच्‍चे साधक हैं। आपके मन में ऐसी किसी झिझक की बात नहीं है। झिझक तो मेरे मन में है कि मैं जो चाह रहा हूं, वो आपको अच्‍छे से समझा भी पाऊंगा या नहीं। पर मेरा और मेरे युवा सहयोगी कनिष्‍क कश्‍यप की पूरी कोशिश रहेगी कि जो हम आपको सिखलाने-बबतलाने आये हैं, उसे बहुत अच्‍छे से आपको न सिर्फ बतला ही पायें अपितु अच्‍छा अभयास भी करवा सकें। जिंदगी में आपको सिर्फ खुद ही नहीं सीखना होता अपितु आप जो सीखते हैं, उसे सबको सिखाना भी सबका ध्‍येय होना चाहिए। बिना किसी पूर्वाग्रह और बिना किसी लोभ के। यह भाव मन में स्‍वयंमेव उठने चाहिए।

जो काम अब तक देश-विदेश में हिन्‍दी फिल्‍मों के गीत करते आए हैं, वो कमान अब हिन्‍दी ब्‍लॉगों ने संभाल ली है और इसमें आप सबको अपना भरपूर योगदान, बिना अपनी दैनिक जिम्‍मेदारियों को प्रभावित किए बिना देना है और देते रहना है और सबको इस कार्य के लिए प्रेरित भी करना है। हिन्‍दी में टाइप करना, हिन्‍दी में ब्‍लॉग बनाना, उसमें अपनी रचना और चित्र लगाना, अपने खूबसूरत भावों को किसी भी विधा में साकार करना, पढ़ी-सुनी रचनाओं पर अपनी सच्‍ची प्रतिक्रिया टिप्‍पणियों के माध्‍यम से देना, अब बहुत आसान है।

जानकर अच्‍छा लग रहा है कि आपमें से कुछ साथी इस माध्‍यम में सक्रिय भी हैं। कनिष्‍क जी अब आपको इस माध्‍यम से काफी तकनीकी पहलुओं की व्‍यवहारिक जानकारी देंगे और उसके बाद हमारे मध्‍य खुला वार्तालाप होगा। आप सब एक एक करके पूछते जाएंगें, ब्‍लॉग बनायेंगे अपनी कठिनाईयों के संबंध में बतलाते जायेंगे और हम मिलकर आपकी समस्‍याओं को दूर करते जायेंगे।

धन्‍यवाद ।




1 टिप्पणी:

  1. पवन जी,जानकारी के लिए आभार।

    स्पेस दुर करने के लिए आप कर्सर का उपयोग करें। पोस्ट की पहली लाईन के शुरु में कर्सर ले जाकर रखें तथा बैक स्पेस बटन को दबा कर उस लाईन को उपर जोड़ लें।
    ऐसा ही नीचे के खाली स्थान के लिए। खाली स्थान में कर्सर लगाएं और बैक स्पेस बटन का उपयोग करें कर्सर उपर जाते हुए खाली स्थान को खत्म कर देगा।

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सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट