सोमवार, 31 मार्च 2008

बेतुके सरकारी आदेश

ये बात हमारे गले नही उतर रही
कि जो कलैण्‍डर जनवरी में प्रकाशित किये गये थे उन सभी को रद्द कर दिया जायेगा और कल से नये कलैण्‍डर प्रयोग में लाए जाएंगे । कारण जो दिया गया है वह भी समझ से परे है कि इस साल मार्च का महीना 32 दिन का होना था । गलती से 31 दिन का छाप दिया गया है । इसके पीछे वैज्ञानिक कारण दिया जा रहा है ब्‍‍लोगल वार्मिंग । ऐसा मान लिया गया है कि वैज्ञानिक इस ब्‍लोगल वार्मिंग से निजात पाने के लिए जी जान से जुट गये हैं। पृथ्‍वी की गति कुछ धीमी हो गयी है जिस कारण ऐसा किया गया है । मीडिया भी इस बात को बेवजह तूल दे रहा है कि जो काम सरकार को दिसम्‍बर में करना था उसे अब मार्च में करने की क्‍या तुक है । आप भी अपने विचार दे सकते हैं।

शुक्रवार, 28 मार्च 2008

अंधेरा

एक प्रश्‍न है मेरा

क्‍या आपने देखा है कभी अंधेरा
बड़े बड़ों ने हां ही कहा है
लेकिन मैंने नहीं कहा है

अंधेरा कैसा है समझ नहीं आया

प्रयास किया पर देख नहीं पाया
क्‍योंकि ये सत्‍य है
और वैज्ञानिक तथ्‍य है
कोई भी किसी वस्‍तु को
तभी देख पाता है
जब वस्‍तु से प्रकाश परावर्तित हो
उसकी आंख तक आता है
लेकिन प्रकाश के आते ही
अंधेरा तो दुम दबाकर भाग जाता है
और
कोई भी प्रकाश किरण
करती हुई विचरण
कहीं से चकराकर
अंधेरे से टकराकर
नहीं लौट पाती
इसीलिए हमारी आंख
अंधेरे को नहीं देख पाती
या फिर अंधेरा कोई वस्‍तु नहीं है
और भौतिक शास्‍त्र का ये नियम
अंधेरे पर लागू नहीं है
बोलो समझ गये
या उलझ गये
चलो तो
अब बताओ सही सही
आपने अंधेरे को देखा या नहीं
नहीं न ।

शनिवार, 22 मार्च 2008

होली की शुभकामनाएं

आओ प्रतिज्ञा करें होली पर
हम उन लोगों पर कीचड़ नहीं उछालेंगे
जिनके चेहरे पहले से ही काले हैं
कारण ये नहीं है, कारण कुछ और है
आखिर कीचड़ की अपनी इज्‍जत का सवाल है

बुधवार, 12 मार्च 2008

रहस्य

मुनिया स्याणी हो गयी
गूंज उठा जनमंच
इस दुनिया के सामने
चलता नहीं प्रपंच
बाप छिपाता फिर रहा
फैले न ये बात-
क्यों बुधिया के द्वार पर
आया था सरपंच ।

मंगलवार, 11 मार्च 2008

होली

चिंता न करना प्रिये ये होली के ढंग
बिन साबुन उड़ जाएंगे मंहगाई के रंग