बुधवार, 17 अक्तूबर 2007

शादी


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

करने हैं हाथ पीले बाबुल का भाग्य कैसा
देता दहेज वर को लेकर उधार पैसा
वह कर्ज में दबेगा ये नोट हैं लुटाते
खुलती है रम की बोतल लब जाम से लगाते।

देखिए सब सदा पैसे की
बरबादी हो रही है
लोग कहते हैं
शादी हो रही है

1 टिप्पणी:

टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट